बुरे सपनो से परेशान चोर ने मंदिर से चोरी किये गहने को वापस लौटाकर मांगी माफ़ी, इतने रुपये का दान भी दिया

बुरे सपनो से परेशान चोर ने मंदिर से चोरी किये गहने को वापस लौटाकर मांगी माफ़ी, इतने रुपये का दान भी दिया

हिमाचल जनादेश,न्यूज़ डेस्क

ओडिशा के गोपीनाथपुर गांव में स्थित गोपीनाथ मंदिर की घटना सभी को हकीकत से रुबरु करा देती है कि अच्छाई और पवित्रता की शक्ति हमेशा जीवन को बदलने का काम करती है। इस मंदिर में विराजमान गहनों की चोरी से उठी हड़कंप की घटना के बाद, चोर ने बदले के रूप में गहनों को वापस लौटाया और अपने अपराधों का पश्चाताप किया।

यह अद्वितीय घटना कुछ वर्ष पहले की है, जब एक चोर ने गोपीनाथ मंदिर से भगवान कृष्ण और राधा के गहने चुराए। इन गहनों की कीमत लाखों रुपये में बताई जाती थी। चोरी करने के बाद से ही चोर को बुरे सपने आने लगे और उसे घायली महसूस होने लगी।

चोर ने गहनों को लेकर उसे लंबे समय तक तंग किया और उसे निश्चित दंड भुगतने पर मजबूर किया। नौ साल बाद, चोर ने गहनों के साथ एक नोट छोड़ा जिसमें लिखा था कि वह चोरी के बाद से ही बुरे सपने देख रहा था और उसे अपनी गलतियों का एहसास हुआ था।

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इंडिया टुडे में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, चोर ने नौ साल बाद भगवत गीता की पाठशाला में भाग लेकर अपने जीवन में बदलाव लाने का निर्णय लिया। गहनों के साथ एक नोट में चोर ने गहनों की चोरी के बारे में बताया और प्रायश्चित के तौर पर अतिरिक्त 300 रुपये छोड़ दिए।

चोर ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने यज्ञ शाला में एक यज्ञ से गहनों को ले लिया था, जिसके लिए उसे नौ सालों तक कष्ट सहना पड़ा।

चोर ने मंदिर के सामने एक बैग में गहने छोड़ दिए, जिसमें चोरी हुई टोपी, कान की बाली, कंगन और एक बांसुरी शामिल थी। इसके साथ ही, चोर ने पुजारी श्री देवेश चंद्र मोहंती का उल्लेख भी किया।

इस घटना ने मंदिर के अधिकारियों और भक्तों को आनंदित किया, जिनके मुताबिक चोर का पश्चाताप कार्य और भगवान कृष्ण की शिक्षाओं के महत्व के बारे में इसने अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

चोर ने अपने नोट में स्पष्ट किया कि वह भगवान कृष्ण की शिक्षाओं से प्रेरित होकर अपने गलत कर्मों का अहसास पाया और इसलिए गहनों को मंदिर में वापस करने का निर्णय लिया। इस घटना से गहनों की वापसी से मंदिर के अधिकारियों और भक्तों में खुशी की लहर दौड़ गई।

इस घटना का चोर के पश्चाताप कार्य और भगवान कृष्ण की शिक्षाओं के महत्व के संकेत माना जा रहा है, जो भगवद्गीता की शक्ति का एक प्रमुख उदाहरण है।

इस अद्वितीय घटना के माध्यम से हमें यह सिखाया जाता है कि जीवन में बदलाव लाने के लिए ईश्वर की शरण में आना और अपने अपराधों का पश्चाताप करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह घटना हमें यह भी दिखाती है कि पवित्रता और उच्चता की शक्ति हमेशा सत्य को विजयी बनाती है और चोरी जैसे अधर्मिक कर्मों के बाद भी सुधार की संभावना होती है।

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