संपादकीय : गद्दी जनजाति समुदाय- वर्तमान और भविष्य

संपादकीय : गद्दी जनजाति समुदाय- वर्तमान और भविष्य

हिमाचल जनादेश, ब्यूरो

भारत में रहने वाले बहुत से समुदाय देश की विविधता और एकता को संजोने और सहेजने का अनवरत प्रयास करते रहे हैं और इन समुदायों के कारण हमारे देश की संस्कृति की अनमोल धरोहर के दर्शन होते हैं।
आज हम बात करें चम्बा जिले के भरमौर जनजातीय क्षेत्र की तो यह क्षेत्र हर प्रकार के विकास में प्रदेश और देश की संस्कृति और विकास में हमेशा सहयोगी रहा है।

वह चाहे धार्मिक आस्था का प्रश्न हो, सांस्कृतिक विरासत का या अन्य कोई क्षेत्र। सदैव हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाते हुए आज यह क्षेत्र स्वयं उपेक्षा का शिकार है।

कारण कुछ भी रहे होंगे परंतु गौरतलब यह है कि इस समुदाय के लोगों ने देश और प्रदेश स्तर पर अपनी प्रतिभा और काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं।। इस समुदाय ने देश को कई आई ए एस अधिकारी, न्याय अधिकारी, डाक्टर व इंजीनियर प्रदान किए हैं।

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परंतु अधिकांश लोगों ने अपने व अपने परिवार के विकास के साथ ही इस समुदाय की पहचान को गुमनाम कर दिया है।। कारण कुछ भी रहे होंगे परंतु कभी भी किसी ने समुदाय के उत्थान व विकास के लिए प्रयास नहीं किया।

क्षेत्र से कई राजनीतिक प्रतिभाशाली व प्रभावशाली लोगों ने भी प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया परंतु ऐसा एहसास होता है कि वो केवल मात्र स्वार्थ के लिए ही गद्दी समुदाय का प्रयोग करते थे और मात्र अपने हित साधना ही उनकी मंशा रही है।। यह सब अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ ऐसे भी राजनीतिज्ञ हुए जिनके मस्तिष्क में कभी गद्दी समुदाय के प्रति संवेदनशीलता ही नहीं रही।

भरमौर विधानसभा में केवल भरमौर ही नहीं बल्कि गैर जनजातीय क्षेत्र में भी गद्दी समुदाय के लोग निवास करते हैं।।। बिडम्बना तो यह है कि आज तक भरमौर विधानसभा के हडसर व उलांसा जैसे क्षेत्रों के लोग जनजातीय दर्जा प्राप्त करने के लिए तरसते रहे परंतु कोई भी राजनीतिक हस्ती इतनी मजबूत इच्छा शक्ति को प्रदर्शित नहीं कर पाया।। नतीजा वही ढाक के तीन पात।

वर्तमान में उम्मीद जगी है तो डाक्टर जनकराज जी जैसे धरती से जुड़े हुए व्यक्तित्व की, जिनकी कार्यशैली और संवेदनशीलता कहीं न कहीं गद्दी समुदाय के लोगों में एक आशा की की किरण लेकर आई है।
डगर कठिन है, इम्तिहान मुश्किल है, फिर भी डाक्टर जनकराज जी की प्रतिभा और कार्यशैली का कोई तोड़ नहीं है। यह भविष्य के गर्भ में है कि वो किस प्रकार से चुनोतियों का सामना करके अपने मिशन में कामयाब होते हैं।

विक्रम वर्मा।
स्वतंत्र लेखक, चम्बा हि प्र।

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